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भारत बनाम चीन: युद्ध को ग्लैमराइज मत करिये, जुमले सिर्फ चुनावी रैलियों तक ही ठीक हैं !

- रोहित देवेंद्र शांडिल्य ' युद्ध को फैटेंसाइज , ग्लैमराइज मत कीजिए। पाकिस्तान या चीन या हम खुद भी मोहल्लों के गैंग नहीं ह...

चीनी सामान का बॉयकाट करिये, लेकिन यह भी तो देख लीजिए कि आप कितने पानी में हैं !

- शंभूनाथ शुक्ल चलिए, चीनी माल का बॉयकाट करिए, मैं भी आपके साथ हूँ। उनके टीवी, मोबाइल, इलेक्ट्रानिक सामान, खिलौने और उनके द्वारा...

बॉलीवुड में नेपोटिज्म का शोर मचाने वाले क्या खुद किसी नए चेहरे के साथ काम करना चाहते हैं?

मुुंबई : फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या को लेकर इस समय फिल्म जगत में उबाल तो है ही राजनीतिक गलियारों और आम जनम...

फिल्म समीक्षा: 'गुलाबो सिताबो' का हर फ्रेम जैसे अपने अंदर एक अलग कहानी लिए हुए है

-कुश वैष्णव सेल्युलाइड पर कविता है फ़िल्म 'गुलाबो सिताबो'। पीकू और अक्टूबर के बाद शूजित साबित करते हैं कि सिनेमा निर्देशक...

करण जौहर के बारे में ये सब पढ़कर कहीं आपको मोदी जी की याद तो नहीं आ रही है?

- कुश वैष्णव आज हम करण जौहर और मोदीजी पर बात करेंगे।  पहले हम बात करते हैं करण जौहर की। एक समय पर करण जौहर आदित्य चोपड़ा के दोस्त...

कृष्णा रूमी का सस्पेंस थ्रिलर: पंजाब से यूपी पहुंची प्रेम कहानी का क्या हुआ अंजाम?

- कृष्णा रूमी चेतराम नाम का व्यक्ति पंजाब में एक भट्टे पर काम करता था।  चेतराम का परिवार उत्तर प्रदेश में पाली से था जो काम के लिए...

निजीकरण के दौर में चीन से मुकाबला मुश्किल, हमें बड़ी लकीर खींचनी होगी

-गिरीश मालवीय चीन के साथ तनातनी के बीच केंद्र सरकार ने BSNL और MTNL में किसी भी चीनी उपकरण के प्रयोग पर तत्काल रोक लगा दी, लेकिन ...

चीन भारत के लिए पड़ोसी तो रहा, दोस्त कभी नहीं, आत्ममुग्ध मोदी सरकार ये नहीं समझ सकी !

- धनंजय कुमार चीन धोखेबाज़ और साम्राज्यवादी देश है. ये बार बार साबित हुआ है. भारत को ये अनुभव 1962 में खूब अच्छे से हो गया था, इसीलिये ब...

फिल्म समीक्षा: 'गुलाबो सिताबो' लाजवाब है, ये हमारे समाज की हिप्पोक्रेसी को खोलती है

- शंभूनाथ शुक्ल 12 जून को जब सुजित सरकार की फ़िल्म गुलाबो-सिताबो prime video पर रिलीज़ हुई तब उसी दिन देखने का मन था। लेकिन फिल्...

मिथुन चक्रवती, जिसने नायक से लेकर खलनायक तक हर किरदार में खुद को साबित किया

- नितिन ठाकुर गैरांग चक्रवर्ती। दूसरा नाम मिथुन चक्रवर्ती। 1982 की डिस्को डांसर का जिम्मी। इस जिम्मी की शोहरत ऐसी थी कि सोवियत यूनियन...

वॉलीवुड में नेपोटिज्म की बहस: कामयाबी मिलने के बाद कंगना ने जो किया वह क्या है?

- उमाशंकर सिंह बहुत सारे लोग सुशांत की मौत के पीछे बॉलीवुड के किसी गैंग द्वारा उसे कॉर्नर किया जाना बता रहे हैं। बॉलीवुड में नेपोटिज्म...

जेएनयू की अहमियत सिर्फ वही समझ सकते हैं जिन्होंने इस यूनिवर्सिटी को नजदीक से जाना है

- पल्लवी प्रकाश 2012  के आखिरी महीनों में ( अक्टूबर या नवम्बर) में मेरे पास एक बार किसी प्राइवेट यूनिवर्सिटी से इंटरव्यू के लिए कॉ...

आपदा में अवसर : कोरोना की रिपोर्ट निजी लैब में पॉजिटिव, सरकारी अस्पताल में निगेटिव !

- धीरज फूलमति सिंह भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी हमेशा कहते रहते है कि आपदा मे भी अवसर छुपा होता है। भारत मे कोरोना आपद...

धोनी के संघर्ष को जीने वाला अपने जीवन संघर्ष से हार मान बैठा, यह बात कचोटती है

-शंभूनाथ शुक्ल मैंने सुशांत सिंह राजपूत को नहीं देखा था। देखा तो मैंने महेंद्र सिंह धोनी को भी नहीं है। लेकिन इस कलाकार ने धोन...

यह उम्मीदों के टूटने का समय है, जरूरी है कि हम एक दूसरे का हाथ मजबूती से थामे रहें

- आशुतोष तिवारी अभी सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी के बारे में पढ़ा। वाकई यह बहुत मनहूस समय है। बेहतर दिल रखने वाले लोग जीवन से हार...

मन को दबाकर मत रखिए, अपनी बात कहिए, डिप्रेशन के लिए हमारा समाज सबसे ज्यादा दोषी है

-हरिशंकर शाही डिप्रेशन कोई ऐसी बीमारी नहीं है, जैसे कैंसर या अन्य, जिसकी किन्हीं स्थितियों में असह्य दर्द में आदमी मरने की भीख...

युवा अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत का इस तरह जाना हमारे सामाज की मौत का लक्षण है !

- प्रभाकर मिश्रा ये हमारी कमी है, हमारे इस आधुनिक समाज की कमी! चार दिन पहले सुशांत राजपूत की मैनेजर की मौत हुई। और आज सुशांत ...

अलविदा सुशांत: डिप्रेशन एक बहुत डरावना शत्रु है, यह हम सबके भीतर छिपकर बैठा होता है

-राकेश कायस्थ आसामयिक मौत हमेशा आपको भीतर से तोड़ती है। यह टूटन उतनी ही ज्यादा होती है, जितने करीब से आप मरने वाले को जानते हैं...

महामारी में बैंकों की ये कैसी मोहलत? EMI पर ब्याज वसूल रहे हैं तो राहत किस बात की?

-गिरीश मालवीय EMI पर ब्याज माफी के सिलसिले में आज फिर हम जैसे लाखो करोड़ो मिडिल क्लास लोगो को सुप्रीम कोर्ट ने निराश किया है गौरतलब...

राम किंकर जैसी सादगी और फ़क़ीरी चोला मैंने किसी भी दूसरे कथावाचक में आज तक नहीं देखा

-शंभूनाथ शुक्ल आज जब कथावाचकों को लेकर राजनीति हो रही है, तो मुझे राम किंकर जी याद आते हैं। रामचरित मानस और सनातन हिंदू धर्म व संस्क...

फरिश्ता : 80 साल के जगदीश लाल आहूजा 17 सालों से गरीबों को मुफ्त में खाना खिला रहे हैं

- शशांक गुप्ता आज जब लोग धर्म के नाम पर दूसरों की जान लेने में तुले हैं उस माहौल में एक इंसान एक के बाद एक अपनी करोड़ों की सात प्रापर्टी  ...

देश में कोरोना को लेकर उठने वाले हर सवाल को खारिज करने की इतनी जल्दबाजी क्यों है?

-गिरीश मालवीय आखिर ऐसा क्यो होता है कि कोविड 19 पर उठते हुए हर प्रश्न को तुंरत खारिज कर दिया जाता है? क्या यह आपको आश्चर्य जनक नही ल...

कृष्णा रूमी का सस्पेंस-थ्रिलर : हापुड़ के किसान से एक लड़की की ऑनलाइन मुहब्बत

- कृष्णा रूमी हापुड़ में एक 55 साल के किसान को अचानक एक दिन एक बेहद खूबसूरत लड़की की फ्रेंडरिक्वेस्ट आयी।  जो किसान ने "मजबूरीवश&...