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फूल और कांटे: 29 साल बाद अजय देवगन की फिल्म का ये पोस्टमार्टम आपको जरूर पसंद आएगा !

- सत्येंद्र सत्यार्थी फूल और कांटे नामक फिल्म देख ली। मुझे इस फिल्म को देखने में 4 दिन लगे, हालाकि नल्ला हू और बरसात का मजा ले रहा पर...

Netflix की '21 सरफरोश सारागढ़ी' के सामने 'केसरी' कुछ नहीं, अक्षय ने माहौल की फसल काटी

- राकेश सांगवान रणदीप हुड्डा एक शानदार अभिनेता है, जो अपने अभिनय से पात्र में जान डाल देता है। रणदीप जिस भी पात्र की भूमिका निभात...

फ़िल्म समीक्षा : समाज के वर्गीय चरित्र और उनके संघर्ष का रूपक है 'चमन बहार'

- आशुतोष तिवारी फ़िल्म में एक दृश्य है। स्कूल से घर के रास्ते पर स्कूटी दौड़ रही है। स्कूटी चला रही है रिंकू, सम्पन्न घर की एक लड़...

फिल्म समीक्षा: 'गुलाबो सिताबो' का हर फ्रेम जैसे अपने अंदर एक अलग कहानी लिए हुए है

-कुश वैष्णव सेल्युलाइड पर कविता है फ़िल्म 'गुलाबो सिताबो'। पीकू और अक्टूबर के बाद शूजित साबित करते हैं कि सिनेमा निर्देशक...

फिल्म समीक्षा: 'गुलाबो सिताबो' लाजवाब है, ये हमारे समाज की हिप्पोक्रेसी को खोलती है

- शंभूनाथ शुक्ल 12 जून को जब सुजित सरकार की फ़िल्म गुलाबो-सिताबो prime video पर रिलीज़ हुई तब उसी दिन देखने का मन था। लेकिन फिल्...