Express and Explore Yourself

यह उम्मीदों के टूटने का समय है, जरूरी है कि हम एक दूसरे का हाथ मजबूती से थामे रहें

- आशुतोष तिवारी

अभी सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी के बारे में पढ़ा। वाकई यह बहुत मनहूस समय है। बेहतर दिल रखने वाले लोग जीवन से हार रहे है। दुनिया के नए पूंजी केंद्रित माहौल ने हमारे मनो के साथ जो रिश्ता बनाया है , वह अंततः हमे अंतहीन हताशा के दरवाजे तक पहुंचा  रहा है। राजनीति , न्याय और दिलो के रिश्ते - आदर्श से खाली दिखने लगे  हैं। यह उम्मीदों के टूटने का समय है - सपनो के तबाह होने का समय। ऐसे में जरूरी है कि हम एक दूसरे का हाथ मजबूती से थामे रहें। 

जब भी आप सभी में से कोई भी,मन की गहरी उदासी से गुजरे, लगे कि जीवन का कोई अर्थ नही है, बात सुनने वाले की कमी महसूस हो  - मेरे प्यारे दोस्त ! मैं तुम से बस दो कदम की दूरी पर हूं । तुम इनबॉक्स में नम्बर ले कर मुझ से बात कर सकते हो। मैं तुम्हारे जीवन के भीतर दाखिल हो कर तुम्हे सुनूंगा। कई दफा सामने एक ऐसे आदमी से बात करना भी हर डिप्रेशन का इलाज है जिसे आपका अतीत पता न हो। खुदकुशी के ख्याल आएं  तो मैं साथ रह सकता हूँ। तुम्हे किताबे- कहानियां-कविताएं पढ़ कर सुना सकता हूँ। मेरे लैपटॉप में ढेरों फिल्में है दोस्त! हम दोनों मिल कर देख -सुन सकते हैं। बस कभी गहरा डिप्रेशन जैसा लगें, तो हाथ बढ़ाने में संकोच मत करना।

दुनिया में जब इसके रहने की भी  उम्मीद भी खत्म हो जाएगी तब भी आदमी आदमी की बांह ही तलाशेगा। तुम ने एक रिश्ता कमा लिया है दोस्त।  सुशांत को शांति मिले और तुम सब को बहुत प्रेम।

No comments:

Post a Comment