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युवा अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत का इस तरह जाना हमारे सामाज की मौत का लक्षण है !

- प्रभाकर मिश्रा

ये हमारी कमी है, हमारे इस आधुनिक समाज की कमी! चार दिन पहले सुशांत राजपूत की मैनेजर की मौत हुई। और आज सुशांत की।  दोनों की मौत में हो सकता है कोई सम्बंध हो! अगर ऐसा है तो ये हमारे आधुनिक समाज की मौत है!

सुशांत की मैनेजर की मौत हुई, तो व्यक्तिगत मामला मानकर लोगों ने ताकझांक नहीं की होगी! क्योंकि आधुनिक समाज में कहाँ किसी को समय है और हम भी तो अपनी प्रिवेसी को लेकर इतने कंसियस होते हैं कि कोई हमारी परेशानी के बारे में पूछ लें तो बोलते हैं 'आपको क्या, नन ऑफ योर बिज़नेस!' ये आधुनिक समाज का फैशन है!

हो सकता है मैनेजर की मौत से सुशांत परेशान हों, टूट चुके हों! लेकिन प्रिवेसी के सम्मान में किसी ने उनको समझने समझाने की कोशिश नहीं की हो! अवसाद आत्महत्या तक ले आया हो।



मैं किसी नतीजे पर नहीं पहुंच रहा हूँ। लेकिन इस ख़बर ने बहुत परेशान कर दिया है। एक सफल अभिनेता जिसके पास पूरा आसमान था उड़ने के लिए, कैसे हार गया। कैसे टूट गया! ऐसी स्थिति क्यों आयी होगी। विचार करने की जरूरत है।

इसलिए कोई मुश्किल हो तो अपने लोगों से जरूर शेयर करें। अपने कोई मुश्किल में दिखे तो उनके मुश्किल के बारे में जरूर पूछिए! सब समस्या का समाधान है, कोई मुश्किल स्थायी नहीं रहती। आत्महत्या कोई समाधान नहीं है।

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