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सीमा की सुरक्षा के लिए जा रहे फौजी के साथ एयरपोर्ट पर ऐसा बर्ताव, क्या यही देशभक्ति है?



वाक्या परसो का ही था । देश की राजधानी दिल्ली में एक सामान्य सा दिन परंतु देश की सीमाओं पर काफी हलचल थी । जवानों की छुट्टियां रद्द कर उन्हें तत्काल सीमाओं की सुरक्षा हेतु बुलाया जा रहा था । कुछ ऐसे भी थे जिनको उनकी वाहनी से स्थानांतरण पर कार्यमुक्त कर दिया गया था । जवान स्वयं के व्यय पर इस परिस्थिति का सामना करने के लिए हर्ष से चल पड़े । देश मे व्याप्त कोरोना महामारी के कारण रेलवे स्टेशन तथा एयरपोर्ट पर सामान्य से कम ही भीड़ थी। 

वर्तमान परिस्थितियों के कारण आम जनता जो सैर सपाटे के लिए अक्सर लद्दाख घूमने जाती थी अब घरों में आराम फरमा रही थी । और लद्दाख अब कोई जाए भी क्यों? अगर कोई जाएगा तो वो है एक सैनिक ।

वो भी ऐसे ही चल पड़ा...आनन-फानन में जो साथ रख सकता था रखा...इस जल्दबाजी में वो भूल गया कि कितना सामान वो रख सकता है और कितना नही...। साथ मे दो बड़े बैग जिसमे से एक का वजन 18 किलो दुसरे का 7 किलो ...एक छोटा बैग जोकि पहले से पूर्ण रूप से भरा था जिसका वजन करीब 5 किलो पर ज्यादा...कुल 3 बैग जिनका वजन 18+7+5= 30 किलो ।

बैग में उपलब्ध सामान में से 85% वो सामान था जो उसकी ड्यूटी के लिए जरूरी था । विभिन्न प्रकार के जूते और कई प्रकार की वर्दियां उसके सामान को भारी बना रही थीं । यदि वो आम नागरिक होता तो उसका बैग 85% तक हल्का हो सकता था ।

बोर्डिंग पास की लाइन में इंतजार करते हुए अंततः उसका नम्बर आ ही गया...मन मे शंका लिए वो आगे बढ़ा और टिकट की कॉपी दिखाते हुए बोर्डिंग पास जारी किए जाने का इंतजार...उसका पहला बैग सफलतापूर्वक बैल्ट पर आगे बढ़ गया...जैसे ही उसने दूसरा बैग वजन के लिए रखा उसे तुरंत रोक दिया गया.....

"सर ये नही जा सकता...आप एक ही बैग ले जा सकते हैं....इसके लिए एक्स्ट्रा चार्ज लगेगा??? 400 रुपये किलो " काउंटर पर बैठे व्यक्ति ने कहा।

"सर प्लीज...जाने दीजिए....जरूरी सामान है ..जरूरत पड़ेगी " । जवान ने विनम्रतापूर्वक निवेदन किया ।

" नही..ये हमारी कम्पनी की पालिसी के खिलाफ है । आप अपना बोर्डिंग पास लीजिए और साइड हो जाइए...और भी यात्री लाइन में हैं ।" काउंटर पर बैठे व्यक्ति ने कहा ।

" सर, प्लीज देख लीजिए...ज्यादा नही है 7 किलो ही तो है ।...अगली बार ध्यान रखूँगा ।" जवान ने फिर निवेदन किया ।

" नहीं... सर आप समझते क्यों नही हैं...फर्स्ट काउंटर पर जाकर हमारे मैनेजर से बात कर लीजिए । हम कुछ नही कर सकते " spicejet कर्मचारी। 

निराश जवान काउंटर से हटते हुए काउंटर नम्बर 1 पर गया वहाँ भी यही जवाब मिला...हताश होकर पंक्ति में लगे अन्य लोगों से पूछने लगा कि क्या आपमे से कोई लदाख जा रहा है?? पर सबने मना कर दिया...

कोई जा भी रहा होता तो तब भी बात नही बनती क्योंकि फ्लाइट के नए नियम के अनुसार एक यात्री सिर्फ एक ही बड़ा बैग ले जा सकता है जिसका वजन 20 kg से कम हो...फिर भी चाहता था कि अपने दूसरे बैग का कुछ सामान वो किसी अन्य यात्री के बैग में रख दे जिससे उसे कम भुगतान करना पड़े ।

कोई मदद ना मिल पाने की स्थिति में वो पुनः काउंटर पर गया और निवेदन करने लगा...। उसने बताया कि वह सरकारी आदेश के तहत अपनी ड्यूटी का निर्वहन करने जा रहा है...उसका वहाँ पहुंचना जरूरी है । सीमाओं पर हालात सामान्य नही है...कृपया इतनी मदद तो आप कर ही सकते हैं। "

" आप पहले पंक्ति में लगें और अपनी बारी का इंतजार करें... आप अपनी ड्यूटी कर रहे हैं तो आपको दिखाई नही देता हम कोरोना में भी काम कर रहे हैं...spicejet कर कर्मचारी ने आंखे  दिखाते हुए कहा ।"

पंक्ति में दोबारा लगना मतलब 45 मिनट फिर से खड़ा रहना...खैर वो सैनिक था....बर्फीली रातों में वो घण्टो सीमाओं पर खड़ा रह सकता है ये 45 मिनट उसके लिए कुछ नही थे...पंक्ति में अपनी बारी का दोबारा इंतजार करते हुए वो सोचने लगा..."ये है देश के नागरिकों की सोच...सोशल मीडिया पर सैनिको की शहादत पर आंसू बहाने वाले ये लोग कितने घटिया हैं...क्या इनके लिए जान देते हैं हम" .....

कोरोना में काम करना क्या होता है कोई उससे पूछे...उसका बल भारत का एक मात्र बल था जिसने सबसे पहले विदेशों से आये कोरोना के मरीजों को अपने कैम्प में आइसोलेट किया था....उनकी सेवा की । आज भी उसका बल दिल्ली में 10000 बिस्तर वाले देश के सबसे बड़े कोरोना अस्पताल की कमान अपने हाथ मे ले रहा है ।...खैर इन बातों का कोई मतलब नही था ।

फिर वो सोचने लगा कि 7 किलो में से कुछ वजन वो कम कर सके....पर क्या कम करे? वो कम्बल जो उसकी माँ ने जाते वक्त यह कहते दिया था "बेटा वहाँ ठंड होगी...जरूरत पड़ेगी ।"....जिसकी कीमत 1000 रुपये से ज्यादा नही होगी...पर उसकी कीमत से ज्यादा उसे उसके किराये पर खर्च करना पड़ेगा... ताकि उस कम्बल में उसे उसकी माँ की गोद का एहसास होता रहे । या फिर वो टिफिन जिसमे उसकी पत्नी ने सफर के लिए कुछ रोटियाँ और घर की बनी मिठाईयां रखी थी ताकि रात भर के ट्रैन से एयरपोर्ट तक के सफर में वो खा सके ।

क्या चुनना था क्या नही...यही असमंजश में वो आगे बढ़ा...बिना ज्यादा कुछ निवेदन किये अपना डेबिट कार्ड काउंटर पर बैठे spicejet के कर्मचारी को थमा दिया...अपनी जीत पर मुस्कुराते हुए spicejet के कर्मचारी ने एक पर्ची बनाकर उस सैनिक के हाथ मे थमा दी....तभी एक मैसेज उस सैनिक के मोबाइल पर आया "

"Rs.2,800.00 spent on your SBI Card ending with 5437 at SPICEJET LIMITED on 24/06/20. If this trxn. wasn't done by you, click https://sbicard.com/DisputeRaise"

पर्ची को और कार्ड को जेब मे डालते हुए वो अगली प्रक्रिया के लिये आगे बढ़ गया ।

यहाँ तक आप सोच रहे होंगे कि पेमेंट में दिक्कत क्या थी...पहले कर देता तो ये सब देखना ना पड़ता...तो वो महानुभाव बताएं...7 किलो अतिरिक्त वजन को साथ मे ले जाने में क्या दिक्कत थी...जबकि 85% सामान सरकारी सेवा के लिए था...क्या 7 किलो अतरिक्त वजन से हवाई जहाज नही उड़ सकता था? यदि नही उड़ सकता था तो 400 रुपये प्रति किलो के भुगतान के बाद कैसे?

ये वो फ्लाइट कम्पनियां हैं जो शहादत के बाद लौट रहे किसी सैनिक के शव से भी अतिरिक्त भार व्यय के नाम पर 400 रुपये प्रति किलो वसूलने में गर्व महसूस करेंगी । आप इस सच्चे वाकये पर क्या सोच रखते हैं...इस परिस्थिति में आप क्या करेंगे?

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