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Tuesday, June 30, 2020

'उन न्यूज़ चैनलों पर मुकदमा ठोकिए जो रामदेव की कोरोनिल लॉन्च का सीधा प्रसारण कर रहे थे'



- गिरीश मालवीय
बाबा रामदेव पर तो मुकदमा तो बाद में ठोकिएगा सबसे पहली फुर्सत में उन तमाम न्यूज़ चैनलों पर मुकदमा ठोकिए जो रामदेव की कोरोनिल लॉन्च का सीधा प्रसारण कर रहे थे ओर रामदेव की चार सौ बीसी में सबसे बड़े सहयोगी बने हुए थे। उत्तराखंड आयुर्वेद विभाग द्वारा दिये गए नोटिस में पतंजलि ने कुबूल किया है कि उसकी ओर से कोरोना खत्म करने की कोई दवा बनाने का दावा नहीं किया गया। कंपनी का तो यहाँ तक कहना है कि पतंजलि ने कोरोना किट की पैकिंग भी नहीं की है। कोरोनिल की किट पर कोरोना वायरस  का जो फ़ोटो है वह सिर्फ प्रतीकात्मक रूप में लगाया गया है। 

लेकिन लॉन्च वाले दिन तमाम न्यूज़ चैनल बाबा रामदेव के झूठ का प्रचार प्रसार करते रहे कि रामदेव ने कोरोनिल दवा कोरोना के इलाज के लिए बनाई है एबीपी न्यूज़ वाला तो एक कदम आगे बढ़कर कोरोनिल को कोरोना की वैक्सीन बता रहा था ऐसी झूठी दवा के लॉन्च का लाइव प्रसारण कर रहा था मित्र बताते हैं कि इंडिया टीवी तो उस दिन दवाई का डीलर बना हुआ था पूरे दिन वह बताता रहा कि इस फर्जी दवा को आप एक बोगस एप्प के जरिये खरीद सकते NDTV ने भी लाला रामदेव की छवि चमकाने का ठेका ले रखा था। 

अब पूरा झूठ पकड़ा गया है तो इन चैनलों के पास एक मिनट भी नही है कि एक बार कह दे कि बाबा आयुर्वेद के नाम पर फर्जीवाड़ा कर रहा था, लेकिन कोरोनिल लॉन्च के 2 दिन पहले से बाबा की ब्रांडिंग करने के लिए ये तमाम न्यूज़ चैनल आधे आधे घण्टे के प्रोग्राम दिखा रहे थे। लोग हमेशा पूछते है कि आप मीडिया के खिलाफ क्यो लिखते हो दरअसल सच तो यह है कि इस देश को बर्बाद करने में मीडिया का जितना बड़ा रोल है उतना तो किसी का भी नही है।

Wednesday, June 24, 2020

कोरोना की दवा पर विवाद: बाबा रामदेव की 'कोरोनिल' से परेशानी किसे है?

- मनोरंजन कुमार तिवारी

ऐसा लगता है कि बाबा रामदेव ने कुछ लोगों पर "कोरोनिल" नामक मिसाइल से हमला कर दिया है..कुछ लोग इस हमले में घायल हो कर तड़प रहे है। अमेरिका,  WHO से लेकर बिल गेट्स तक और दुनिया भर के मेडिसिन बनाने वाली कंपनियों की नजर भारत के बाज़ार पर थी जो बड़ी प्लानिंग और भूमिका बना कर भारत में मोटा मुनाफा कमाने के सपने देख रहे थे जो एक झटके में ध्वस्त हो चुका है। उन कंपनियों के एजेंटों में हाहाकार मच गई है। ऐसा नहीं है कि दवा कंपनियों के एजेंटों को ही तगड़ा झटका लगा है, बल्कि कुछ ऐसे लोगों को भी गुस्सा आ गया है कि साला हम तो फालतू में ही लम्बी - लम्बी पोस्ट लिखते रह गए और यह मुर्ख बाबा करोड़ों का मामला फिट कर गया। 

किसी की तारीफ करो तो कुछ लोग बुरा मान जाते हैं लेकिन बाबा रामदेव ने अपनी टाइमिंग से सबको चित कर दिया है। आयुष मंत्रालय ने बाबा की नकेल खींचने की कोशिश करते हुए कहा है कि बिना हमारी हिस्सेदारी तय किये आगे बढ़ने की सोचना भी मत। वैसे सच तो यह है कि यह कोरोना संक्रमण फैल तो रहा है तेजी से मगर स्वस्थ व्यक्ति इससे असानी से रिकवर भी हो जा रहे है, ऐसे में अब सारा खेल ही चिकित्सा क्षेत्र के व्यापारियों का हो चुका है, कोरोना अब आपदा नहीं बल्कि बहुत बड़े अवसर के रूप में सामने आ चुका है दवा कंपनियों और इसके व्यापारियों के लिए, ऐसे में अब मेडिसिन के बाज़ार का जो ज्यादा बड़ा खिलाड़ी होगा वह माल कमाएगा। 

मुझे बाबा के कोरोनिल टैब्लेट से कोई प्रॉब्लम नहीं है बशर्ते वे आयुष मंत्रालय को उनकी हिस्सेदारी सुनिश्चित कर दे।आयुष मंत्रालय द्वारा रोक लगाने के बावजूद होमियोपैथिक दवा Arsenicum Album 30CH बाजार में खूब बिकी है "कोरोना नहीं होगा इसे पीने से" बोल कर और तो और मुंबई महानगर पालिका और कम्पनियों ने भी थोक के भाव में बांटा है इसे सिर्फ एक भ्रमयुक्त हौसला बढ़ाने के लिए, cipla ने Remdevir दवा को उतारा है कोरोना के लिए, इन दवाइयों का भी कोई प्रमाण नहीं है कि कोरोना मरीज इससे ठीक हो ही जाता है, तो रामदेव बाबा के अयूर्वेदिक दवाई में क्या प्रॉब्लम है? अयुर्वेदिक दवा कुछ ना भी करेगा तो इम्यून सिस्टम को जरूर मजबूत करने का काम करेगा ही। 

बाबा रामदेव ने बहुत सोच समझ कर अपनी दवा को लॉन्च किया है, उन्हे पता है कि भारत में जिस रफ्तार से कोरोना के केस आ रहा है और भारत के हॉस्पिटलों में कोरोना के नाम पर जो लूट मची है, ऐसी परिस्थिति में लाखों मरीज ऐसे होंगे जो हॉस्पिटल जाएँगे ही नहीं, यही लाखों मरीज बाबा के निशाने पर है क्योंकि हॉस्पिटल वाले मरीज तो डॉक्टरों के प्रिस्क्रिप्शन के अनुसार वो महँगी एलोपैथिक दवाइयों का ही सेवन करेंगे लेकिन जो लाखों लोग हॉस्पिटल जाएँगे ही नहीं वे बाबा के शरण में जाएँगे... डरने की जरूरत नहीं है, उनमें से बहुत लोग ठीक भी होंगे, बाबा रामदेव और पतंजलि का यश बढ़ेगा... हमको कोई घाटा नहीं है। हमारी स्वयं की कोई दवा बनाने की कम्पनी होती तो हम जरूर बाबा रामदेव के कोरोनिल का विरोध करते। 

कोरोना की दवा पर पतंजलि का झूठ: रिकॉर्ड देखकर नहीं लगता कि बाबा रामदेव का कुछ बिगड़ेगा !


-कृष्णकांत

पहले बाबा रामदेव कह रहे थे कि नाक में सरसों का तेल डालने से कोरोना मर जाएगा। अब कह रहे हैं कि कोरोनिल खाने से कोरोना मर जाएगा। अगर सरसों का तेल कोरोना मार दे रहा था तो कोरोनिल खोजने की की जरूरत क्या थी? यानी सरसों के तेल वाली बात झूठी थी। वह बात बाबा ने चैनल का फुटेज खाने के लिए कही थी क्योंकि कोरोना का विशेषज्ञ बनकर ज्ञान बांट रहे थे। जाहिर है कि बदले में चैनल उन्हें पैसा दे रहे होंगे।

हैरानी की बात है कि बाबा ऐसे कारनामे हजारों हजार बार कर चुके हैं और कभी उनकी जवाबदेही तय नहीं हुई। कई बार डॉक्टरों की आपत्ति के बाद भी वे योग से तमाम गंभीर बीमारियां ठीक करने के झूठे दावे करते रहे हैं।
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पहले वे कहते थे कि वे कई असाध्य रोगों का इलाज योग से कर सकते हैं, दवा की जरूरत नहीं है। वे कहते थे कि 'दवाओं से इलाज के पीछे मत भागो, प्राणायाम से आप आजीवन स्वस्थ रह सकते हैं.' फिर खुद ही दवा भी बेचने लगे। तब उनकी दवाएं अंग्रेजी दवाओं के विरोध के नाम पर बिकने लगीं। उनके किसी भक्त को कभी गंभीर रोग हुआ तो उसे जाना पड़ा अस्पताल ही, लेकिन बाबा की दुकान चलती रही।
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बाबा ने पहले जिन उत्पादों का विरोध किया, बाद में वे सारे उत्पाद बनाकर बेचने लगे। जिस फटी ​जींस से बाबा की संस्कृति खतरे में ​थी, बाद में वही फटी जींस बेचकर बाबा ने संस्कृति की सुरक्षा सुनिश्चित की। पहले बाबा चैनलों पर बताते थे कि मैगी, पास्ता, पैकेट बंद  फास्ट फूड खाने का परिणाम बेहद गंभीर होता है, फिर बाबा मैगी से लेकर मसाला तक सब बेचने लगे और सब औ​षधीय गुणों से युक्त। किसी ने नहीं पूछा कि जब मैगी खाने से नुकसान होता है तो आप मैगी क्यों बेच रहे हैं? 
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बाबा आयुर्वेद के स्वनामधन्य ज्ञाता होकर वे सारे उत्पाद बेचते हैं जिनका आयुर्वेद में निषेध किया गया है। बाबा पर कई बार आरोप लगे कि वे अपनी दवाओं में कुछ सामग्री, मानव और जीव-जंतुओं के अंगों का इस्तेमाल करते हैं, गैरकानूनी तरीके से उत्पादन करते हैं, लेकिन इस पर न कभी कोई जांच हुई, न रोक नहीं लगी। बाबा ने एड्स का इलाज करने का दावा किया तो केंद्र सरकार ने उन्हें नोटिस थमाया. लोगों को गुमराह करने के आरोप में उन्हें नोटिस मिल चुका है। बाबा ने ऐसी दवा बनाने का दावा किया, जिससे महिलाएं सिर्फ पुत्र को जन्म दे सकती हैं। इस दावे की जांच भी हुई थी, लेकिन बाबा बच निकले। 
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इन्होंने योग के जरिए कैंसर के इलाज का दावा किया तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इसकी निंदा की थी. बाबा ने संजीवनी बूटी की खोज करने का दावा किया तो इसका मजाक बना। बाबा ने समलैंगिकता को 'उपचार योग्य रोग' बता डाला तो निंदा हुई। बाबा भी अपनी फैक्ट्रियों से निकले कचरे को गंगा में बहाते रहे और बहती गंगा में नहाते रहे। कुछ बार जुर्माना देकर भी बाबा हर बार बेदाग ही रहे।
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अब तक देखा जाए तो बाबा सबसे बुरे कोरोनिल बनाकर ही फंसे हैं, लेकिन रिकॉर्ड देखकर लगता नहीं कि उनका कुछ होगा। हो सकता है कि इम्युनिटी बढ़ाने के नाम पर उनका कारोबार और चमक उठे। उत्तराखंड आयुर्वेद विभाग के लाइसेंसिंग ऑफिसर का कहना है कि पतंजलि के अप्लीकेशन पर हमने लाइसेंस जारी किया। इस अप्लीकेशन में कहीं भी कोरोना वायरस का जिक्र नहीं था। इसमें कहा गया था कि हम इम्युनिटी बढ़ाने, कफ और बुखार की दवा बनाने का लाइसेंस ले रहे हैं। विभाग ने पतंजलि को नोटिस भेजा है।
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बाबा को लगता है कि इस देश में कोई सरकार नहीं है, असली साम्राज्य उन्हीं का है, इसलिए कोरोना की दवा बनाने के लिए उन्हें किसी की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। बाबा का पूरा साम्राज्य ठगी पर टिका है और उसे अभयदान प्राप्त है, ​इसलिए बाबा निर्भय हैं। उनके झूठ और क्षद्म के साम्राज्य में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है आयुर्वेद का। आयुर्वेद आज अंग्रेजी पद्धति के आगे महान हो या न हो, लेकिन यह एक महान चिकित्सा शास्त्र है। जब अंग्रेजी चिकित्सा नहीं थीं, तब भारत इसी के दम पर जिंदा था. बाबा ने योग और आयु​र्वेद की खिचड़ी पकाकर लोगों को खूब उल्लू बनाया है. वे आज भी यही कर रहे हैं।