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दिए जलाओ, नगाड़े बजाओ, विकास को न्याय मिल गया, न्यू इंडिया में आपका स्वागत है!

- मनीष सिंह इंस्टंट न्याय.... न कोर्ट, न पेशी, न जज, न जल्लाद, ये एनकाउंटर न्याय है बबुआ। भारत अब वो भारत नही जो टीवी पर गोलियां ब...

यह मत पूछिए कि अदालत कहां है? यह पूछिए, जिस लोकतंत्र में अदालत होती है, वो लोकतंत्र कहां है?

- कृष्णकांत जब भी किसी गैर-न्यायिक हत्या पर सवाल उठते हैं तो लोग पूछते हैं कि भारत में न्यायपालिका है ही कहां? एक थे जस्टिस वीआर कृष्...

वो कौन हैं जो चाहते थे विकास दुबे जिंदा न रहे, किसके लिए मुसीबत बन सकता था विकास दुबे?

- रोहित देवेंद्र शांडिल्य इसमें कोई शक नहीं है कि विकास दुबे की पुलिस कस्टडी में हत्या की गई. शक इसमें भी नहीं है कि वह अपराधी था।...

विकास दुबे एनकाउंटर: कानपुर पुलिस का बदला तो पूरा हुआ, लेकिन असल चुनौती अभी बाकी है

-विजय शंकर सिंह कानून के हांथ बहुत लंबे होते हैं। कभी कभी इतने लंबे कि, कब किसकी गर्दन के इर्दगिर्द आ जाएं पता ही नहीं चलता है। ए...

विकास दुबे के साम्राज्य का अंत और प्रकाश झा की फिल्म अपहरण का वो कभी न भूलने वाला दृश्य!

- मनीष सिंह प्रकाश झा की मूवी आयी थी- “अपहरण”. एक गाँधीवादी फ्रीडम फाइटर का बेटा अपराधी बन जाता है. सबसे बड़ा गैंग्स्टर, मगर अब कान...

अपराधी-पुलिस गठजोड़ और मुखबिरी एक नहीं, हर थाने की बात है, कहीं भी देख लीजिए !

- समीरात्मज मिश्र 'विकास दुबे का जो भी आपराधिक इतिहास दिख रहा है, उससे कम से कम कानपुर ज़िले की पुलिस तो वाकिफ़ रही ही होगी. न...

क्या हमारे नेताओं में राजनीति का अपराधीकरण रोकने की इच्छाशक्ति है?

- विजय शंकर सिंह क्या सभी राजनीतिक दल अपराधियों को टिकट न देने और उनसे चुनाव में कोई सहायता न लेने पर संकल्पबद्ध हो सकते हैं ? अगर ...

विकास दुबे एनकाउंटर: किसको डर और किससे डर? अब तक कितने शहीद पुलिसवालों को इंसाफ मिला?

- धीरेश सैनी विकास दुबे को लेकर कुछ स्टेटमेंट्स पढ़े। राज़ खुल जाने का डर और पुलिस ने बदला लिया, इन बिंदुओं पर काफ़ी कुछ लिखा दिखाई दि...

आजतक की रिपोर्ट: सोचिये, अगर ये मासूम आपकी बच्चियां होतीं तो आप पर क्या गुजरती?

शीतल पी सिंह मामला चित्रकूट का है। गोस्वामी तुलसीदास जी यहीं के थे। यह न्यूज़ स्टोरी भी यहीं की है, जिसे शानदार पत्रकार मौसमी सिंह ...

सुसाइड या मर्डर: एम्स की चारदीवारी से बाहर आ पाएगा पत्रकार तरुण सिसौदिया की मौत का सच?

- गिरीश मालवीय दिल्ली के पत्रकार तरुण सिसौदिया की मौत के मामले में यह शक करने की पर्याप्त गुंजाइश है कि यह आत्महत्या नही हत्या है...