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फ़िल्म समीक्षा : समाज के वर्गीय चरित्र और उनके संघर्ष का रूपक है 'चमन बहार'

- आशुतोष तिवारी फ़िल्म में एक दृश्य है। स्कूल से घर के रास्ते पर स्कूटी दौड़ रही है। स्कूटी चला रही है रिंकू, सम्पन्न घर की एक लड़...

बॉलीवुड में नेपोटिज्म का शोर मचाने वाले क्या खुद किसी नए चेहरे के साथ काम करना चाहते हैं?

मुुंबई : फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या को लेकर इस समय फिल्म जगत में उबाल तो है ही राजनीतिक गलियारों और आम जनम...

फिल्म समीक्षा: 'गुलाबो सिताबो' का हर फ्रेम जैसे अपने अंदर एक अलग कहानी लिए हुए है

-कुश वैष्णव सेल्युलाइड पर कविता है फ़िल्म 'गुलाबो सिताबो'। पीकू और अक्टूबर के बाद शूजित साबित करते हैं कि सिनेमा निर्देशक...

करण जौहर के बारे में ये सब पढ़कर कहीं आपको मोदी जी की याद तो नहीं आ रही है?

- कुश वैष्णव आज हम करण जौहर और मोदीजी पर बात करेंगे।  पहले हम बात करते हैं करण जौहर की। एक समय पर करण जौहर आदित्य चोपड़ा के दोस्त...

फिल्म समीक्षा: 'गुलाबो सिताबो' लाजवाब है, ये हमारे समाज की हिप्पोक्रेसी को खोलती है

- शंभूनाथ शुक्ल 12 जून को जब सुजित सरकार की फ़िल्म गुलाबो-सिताबो prime video पर रिलीज़ हुई तब उसी दिन देखने का मन था। लेकिन फिल्...

मिथुन चक्रवती, जिसने नायक से लेकर खलनायक तक हर किरदार में खुद को साबित किया

- नितिन ठाकुर गैरांग चक्रवर्ती। दूसरा नाम मिथुन चक्रवर्ती। 1982 की डिस्को डांसर का जिम्मी। इस जिम्मी की शोहरत ऐसी थी कि सोवियत यूनियन...

वॉलीवुड में नेपोटिज्म की बहस: कामयाबी मिलने के बाद कंगना ने जो किया वह क्या है?

- उमाशंकर सिंह बहुत सारे लोग सुशांत की मौत के पीछे बॉलीवुड के किसी गैंग द्वारा उसे कॉर्नर किया जाना बता रहे हैं। बॉलीवुड में नेपोटिज्म...

धोनी के संघर्ष को जीने वाला अपने जीवन संघर्ष से हार मान बैठा, यह बात कचोटती है

-शंभूनाथ शुक्ल मैंने सुशांत सिंह राजपूत को नहीं देखा था। देखा तो मैंने महेंद्र सिंह धोनी को भी नहीं है। लेकिन इस कलाकार ने धोन...

यह उम्मीदों के टूटने का समय है, जरूरी है कि हम एक दूसरे का हाथ मजबूती से थामे रहें

- आशुतोष तिवारी अभी सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी के बारे में पढ़ा। वाकई यह बहुत मनहूस समय है। बेहतर दिल रखने वाले लोग जीवन से हार...

मन को दबाकर मत रखिए, अपनी बात कहिए, डिप्रेशन के लिए हमारा समाज सबसे ज्यादा दोषी है

-हरिशंकर शाही डिप्रेशन कोई ऐसी बीमारी नहीं है, जैसे कैंसर या अन्य, जिसकी किन्हीं स्थितियों में असह्य दर्द में आदमी मरने की भीख...