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कोरोना से हो रही मौत की ख़बरें डराने वाली हैं, आम दिनों में ऐसे लगातार लोग नहीं मरते

-सिद्धार्थ ताबिश

अभी मैं दिल्ली में अपने दोस्त से बात कर रहा था.. उनके सामने रहने वाले पड़ोसी.. उम्र 55 साल.. गुड़गांव से कुछ दिन पहले काम से लौटे थे.. घर पहुंचकर बुखार हुवा.. सांस में तकलीफ़ हुई.. अस्पताल ले जाया गया.. दूसरे दिन उन्हें वेंटीलेटर पर शिफ़्ट करना पड़ा.. चार दिन बाद मौत हो गयी

उनको कोई भी बीमारी नहीं थी.. न शूगर न ब्लड प्रेशर और न ही कोई और इशू.. बिल्कुल स्वस्थ थे.. मगर सिर्फ़ एक हफ़्ते में कोरोना की वजह से इस दुनिया से चले गए.. दिल्ली में जहां मैँ रहता था पहले, उस ब्लॉक में भी मेरे पड़ोस में एक मौत और हुई है कुछ दिन पहले.. लगतरा याब मौत की ख़बरें आ रही हैं.. आम दिनों में ऐसे लगातार आस पड़ोस में लोग नहीं मरते थे

मैंने ऐसे ही एक पत्रकार की लिखी हुई पोस्ट अपने एक व्हाट्सएप्प ग्रुप में डाली, जिसमें उन पत्रकार महोदय ने अपने जान पहचान के कई लोगों की मौत के बारे में लिखा था.. मेरे इस व्हाट्सएप्प ग्रुप में ज़्यादातर लोग "कोरोना एक साज़िश है" वाली विचारधारा के थे.. पोस्ट शेयर करते ही मुझसे बहुत आक्रामक तरीके से सवाल होने लगे कि "ये पत्रकार झूठा है, कोई नहीं मरा इसके यहां.. अगर मरा है तो सबूत दीजिये आप".. मैंने कहा कि "आप कोई अथॉरिटी नहीं हैं कि मैं जवाब दूं लोगों की मौतों के आंकड़ों का".. तो कहने लगे "ताबिश भाई जवाब तो आपको देना ही पड़ेगा क्यूंकि आपको लगता है कि कोरोना सही में कोई बीमारी है, सरकार की साज़िश नहीं".. मैंने ग्रुप छोड़ के ग्रुप डिलीट कर दिया और भाई साहब को फ़ेसबुक से भी ब्लॉक कर दिया

ऐसे लोग कई हैं मेरी लिस्ट में जो दिन रात लोगों को यही बताने पर लगे हुवे हैं कि कोरोना कुछ नहीं है.. इन जैसों का मनोविश्लेषण करने पर मैंने ये पाया है कि ये सुपर "अहंकारी" टाइप की प्रजाति होती है जिसे ये लगता है कि इसने कोई एक थ्योरी दे दी तो बस दे दी.. अजीब बदतमीज़ी है कि दुनिया मे लाखों मर गए और मर रहे हैं मगर इनके हिसाब से ये सब अफ़वाह है.. मेरे दोस्त का पड़ोसी आफिस से आने के बाद इसलिए बीमार हो कर मर गया क्यूंकि उसे सरकार की "साज़िश" को आगे बढ़ाना था

और मेरे एक चीज़ समझ मे नहीं आ रही है कि ये कांस्पीरेसी यानि साज़िश थ्योरी वाले अब अस्पतालों में जा कर कोरोना वार्ड में घूम क्यूं नहीं आते हैं? अब तो कोई लॉकडाउन नहीं है.. जाईये जा कर देखिये और उनको गले लगाइए, अपना मुहँ आगे कर के मरीज़ों से कह दीजिये कि खाँसो, मुझे कुछ नहीं होगा..अपने शरीर में वायरस ले कर बिंदास चौड़े होकर घूमिये और एक भी दवा न खाइये.. यहां फ़ेसबुक पर ये वीर क्या करते हैं अब मेरी समझ के बाहर है.. ये "लूज़र" एक दिन किसी मरीज़ के पास नहीं गए और न इन्होंने कोई कम्युनिटी सर्विस दी.. बस एक "साज़िश कल्ट" बनाने के जुगाड़ में हैं जहां इनकी "पूजा" हो सके

मेरे हिसाब से ये लोग संभावित हत्यारे हैं क्यूंकि अगर इनके उकसाने से एक भी व्यक्ति लापरवाह होकर मौत के मुहँ में जाता है तो उसके ज़िम्मेदार ये लोग हैं.. इसलिए इनके ख़िलाफ़ एक्शन लीजिये और लोगों को लापरवाह बनाने के लिए इनकी रिपोर्ट कीजिये.. ये लोग बहुत ही ज़्यादा ख़तरनाक खेल खेल रहे हैं और जाने कितने सीधे साधे दिमाग़ के लोगों को प्रभावित कर रहे हैं

हम लोग अपने बच्चों और बूढ़ों को गर्मी में लू तक मे जल्दी नहीं निकलने देते हैं.. डॉक्टर और स्वास्थ्य विभाग लू से भी बचाव के लिए आपको अलर्ट करता है.. जबकि ये तो एक चलती फिरती महामारी है जिसमे लाखों मर चुके हैं.. तो इसके लिए कोई बचने की सलाह दे तो वो साज़िश कहाँ से नज़र आ जाती है इन "लूज़रों" को?

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