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पूर्व कोरोना पॉजिटिव की डायरी: कोरोना पॉजिटिव से संक्रमित होने का भय और पड़ोसी

-रवींद्र रंजन 

मदर डेयरी पर खड़ा एक व्यक्ति इसलिए डरा हुआ था कि उसकी कॉलोनी के किसी फ्लैट में कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव निकल आया है। उसे नहीं पता कि कौन सा फ्लैट है, कितनी दूर है, कितनी पास है, लेकिन वो डरा हुआ है कि कोरोना कॉलोनी तक आ पहुंचा है, अब उनके घर में भी घुस सकता है। कोरोना को लेकर हर आम और खास की समझ काफी हद तक ऐसी ही है। शुरुआत में तो इस कदर भय था कि अगर किसी घर में कोरोना पॉजिटिव मिल जाए तो उसके अगल-बगल के फ्लैट भी सील कर दिए जाते थे। धीरे-धीरे कोरोना से लड़ाई का अंदाज बदला। अब सिर्फ उसी घर को सील किया जाता है, जिसमें कोरोना पॉजिटिव है।

जिस कॉलोनी में रहता हूं वहां के लोगों को जब पता चला कि फलां घर में कोविड-19 पॉजिटिव है तो हड़कंप मच गया। आते-जाते लोग फ्लैट की तरफ ऐसे देखते थे, मानो कह रहे हों कि देखो उसी घर में कोरोना पॉजिटिव रहता है, उसके पास मत जाना। आइसोलेशन का मतलब उनके लिए काल कोठरी की कैद जैसा कुछ है कि मरीज खिड़की के पास भी नहीं दिखना चाहिए. अपनी बॉलकोनी में खड़ा हो गया तब तो समझ लो पूरी कॉलोनी को संक्रमित कर देगा 😂 जबकि आइसोलेशन के दौरान पेशेंट को लोगों से दूर रहना है, काल कोठरी में कैद नहीं। उसे यह ध्यान रखना है कि वह किसी के संपर्क में न आए, परिवारवालों के भी।

एक दिन आइसोलेशन टीम का फोन आया कि आपकी शिकायत आई है कि आप बाहर घूम रहे हैं। मैंने पूछा किसने देखा है घूमते हुए तो वह नहीं बता सके। मैने कहा कि उनसे कहिए कि अगली बार वो घूमते देखें तो फोटो खीच लें, वीडियो बना लें। उसके बाद फिर कोई कॉल नहीं आई। दरअसल, कोरोना पेशेंट को रोजाना 10-15 मिनट धूप में बैठना होता है। किसी ने मुझे अपनी छत पर बैठे देखकर शायद फोन कर दिया कि वो घूम रहे हैं। क्योंकि उनकी नजर में तो शायद आइसोलेशन का मतलब एक कमरे में कैद करना होता होगा। शायद उन्हें डर होगा कि कोरना एक छत से उड़कर उनकी छत में न पहुंच जाए! 😂😂

निकटतम पड़ोसी ने सोसाायटी के सेक्रेटरी को फोन करके बोला कि फ्लैट में एंट्री के लिए कॉमन सीढ़ियां हैं, ऐसे में तो हम भी संक्रमित हो जाएंगे। अब कोई उनसे पूछे कि पेशेंट जब उन सीढ़ियों का इस्तेमाल ही नहीं कर रहा है तो फिर ऐसी बचकानी बात क्यों? ऐसे बहुत से अनुभव हैं जिनसे एक कोरोना पॉजिटिव को दो-चार होना पड़ता है।

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