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पूर्व कोरोना पॉजिटिव की डायरी: दिल्ली में सिर्फ दिल्ली वालों का इलाज, भला क्यों?

- रवींद्र रंजन 

कोरोना को लेकर केंद्र और राज्यों के बीच खूब राजनीति हो रही है। वैसे राजनीतिक पार्टियों का काम ही है राजनीति करना तो वह करेंगी ही। लेकिन राज्यों में जो भी पार्टी सत्ता में है, उसकी पहली जिम्मेदारी अपनी जनता को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना है, जिसमें स्वास्थ्य भी शामिल है। राज्य सरकार अपने राज्य की जनता के प्रति सबसे पहले जवाबदेह है। आपको बुरा लगता है ना ये सुनकर कि दिल्ली में सिर्फ दिल्ली वालों का इलाज होगा? वाकई यह सुनना बुरा है, लेकिन संजीदा होने और भड़कने की बजाए, इस पर थोड़ा मनन कीजिए। भावुकता को छोड़कर अगर तथ्यों पर गौर करें तो यह बात आपको इतनी बुरी नहीं लगेगी। दिल्ली ही क्यों, पूरा देश आपका है। जाहिर है आप भी किसी राज्य में रहते होंगे। क्या आपने गौर किया है आपकी सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं पर कितना खर्च किया है? आपने स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर अपनी सरकार से कितने सवाल पूछे हैं। आपके राज्य में किस पार्टी ने स्वास्थ्य सेवाओं को राजनीतिक मुद्दा बनाया है, उससे जुड़े वादे किये हैं। सोचेंगे तो याद नहीं आएगा।


अब दिल्ली की बात। दिल्ली में अभी जो सरकार है उसने स्वास्थ्य सेवाओं को मुद्दा भी बनाया और उसके नाम पर वोट भी मांगे। जीतने के बाद स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च भी हुआ। यह पैसा किसका था? जाहिर है दिल्ली वालों का। जब दिल्ली वालों का पैसा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च हो रहा था, उस वक्त दिल्ली के बाहर दूसरे राज्यों में आपका पैसा किस चीज पर खर्च हो रहा था? जब दिल्ली वाले सरकार से स्कूल अस्पताल मांग रहे थं, तब आप अपने राज्य की सरकार से क्या मांग रहे थे- भव्य मंदिर, शानदार कुंभ और सरयू तट पर लाखों दीयों का रिकॉर्ड? दिल्ली वालों ने स्वास्थ्य-शिक्षा पर वोट डाले और आपने? खुद ही सोचकर देेखिए, लिखने की जरूरत नहीं है।

क्या कभी आपने एक बार भी अपने राज्य की सरकार से पूछा कि वो स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए क्या कर रही है? क्या आपने कभी ये सोचा कि स्वास्थ्य भी राजनीतिक मुद्दा बनना चाहिए? तब तो आप दिल्ली वालों को मुफ्तखोर और पता नहीं क्या क्या कहकर उलाहने दे रहे थे। दिल्ली वालों को कितना मिला यह तो रिपोर्ट और अध्य्यन से ही पता चलेगा, लेकिन इस राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य पर राजनीति तो शुरू हुई। दिल्ली सरकार को कोसने की बजाए आप अपनी सरकार से ये मांग क्यों नहीं करते कि वो भी अपने राज्य में अच्छे स्कूल-अस्पताल बनवाए। अगर की होती तो शायद ये सुनना ही नहीं पड़ता कि दिल्ली में सिर्फ दिल्लीवालों का इलाज होगा। क्या इस बयान के बाद किसी राज्य ने कहा कि हमारे राज्य में आओ, हम आपका इलाज करेंगे, नहीं ना? तो फिर, समझदार के लिए इशारा काफी है।

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