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Friday, July 3, 2020

ऑनलाइन क्लास: फ़ीस के बहाने स्कूलों की इस लूट पर ताली और थाली बजाएं या गरबा करें?


- रमेश पराशर

कोरोना की चपेट में आने के बाद के ‘लॉक डाउन’ ने लोगों को आर्थिक रूप से बेहद तोड़कर रख दिया है ! ग़रीब तो सबसे ज़्यादा मार झेले हैं मगर ‘मिडिल क्लास’ भी कम तबाह नहीं हुआ है ! वो चाहे छोटा या मझोला व्यापारी हो या नौकरीपेशा ! GST और नोटबंदी ने वैसे भी कमर तोड़ रखी थी ! 

अब “लुटेरों” ने भी लूटना शुरु कर दिया है ! यूँ तो देश में ‘शिक्षा तंत्र’ जाने कब से ICU में भर्ती करने लायक कर दिया गया है, मगर प्राइवेट सेक्टर ने इस समय भी धॉंधली की हदें पार करते डकैतों की तरह “लूट” पर उतर आई हैं ! सरकारों की अनदेखी से यही शक होता है कि परोक्ष रूप से, उनकी सहमती से तो नहीं हो रहा ? पतनशील सरकारें हमेशा जन भावनाओं का तिरस्कार करतीं हैं ? 

“सेंट ज़ोसेफ” देश का जाना माना प्राइवेट शिक्षा संस्थान है, ( इस तरह के कई और प्राइवेट संस्थाएँ भी हैं ) एक वायरल हो रहे वीडियो के अनुसार, ये शिक्षा संस्थान फ़ीस के नाम पर विशुद्ध लूट पर उतर आया है, जब कि स्कूल बंद है और बच्चे ‘ऑन लाइन’ किसी तरह ‘लस्टम पस्टम’ पढ़ाई के नाम पर खाना पूर्ति कर रहे हैं ! इनके फ़ीस के बहाने लूट की बानगी देखिये -
1 - स्कूल मेन्टनेन्स फ़ीस 
2 - लायब्रेरी फ़ीस 
3 - गेम्स एण्ड स्पोर्ट फ़ीस 
4 - इलेक्ट्रिसिटी फ़ीस 
5 - को- करिकुलर एक्टिविटी फ़ीस 
6 - रिपेयर एण्ड मेंटेनेन्स फ़ीस 
7 - एक्टिविटी फ़ीस 
8 - डेवलेपमेंट फ़ीस 
9 - ‘स्कूल-एप’ फ़ीस ( पढ़ाते ‘ज़ू मेप’ और ‘डोजो एप’ से जो पूरी दुनियाँ में फ़्री है ) 

जब बच्चे अपने घरों में रहकर ‘ऑन लाइन’ फ़्री एप से पढ़ रहे हैं, स्कूल बंद हैं, लायब्रेरी खुल नहीं रही, स्पोर्ट खेले नहीं जा रहे, स्कूल की बिल्डिंग यथावत खडी है, कोई रिपेयर नहीं, किसी तरह की कोई एक्टिविटी नहीं हो रही, बिजली केवल प्रिंसिपल के कमरे में ही जल रही होगी ? तब “इस उस” बहाने मोटी फ़ीस वसूलना शुद्ध ‘लूट’ नहीं तो और क्या है ? 


मिडिल क्लॉस के बारे में एक नेता को किसी चैनल पर कहते सुना था, एक वीडियो में - “मिडिल क्लॉस कुल 4 करोड़ हैं देश में ! ये लोअर क्लॉस की तरह सड़कों पर तो उतरते नहीं? घरों में बैठकर बकवास करते रहते हैं ! ये होते कौन हैं अपनी मॉंगे माँगने वाले ?” - ये औक़ात है मिडिल क्लास की ! वैसे भी ताली, थाली बजाकर और सड़कों पर गरबा करके कोरोना से लड़ने की मूर्खतापूर्ण बानगी देकर अपनी बौद्धिक हैसियत का प्रदर्शन तो कर ही चुके हैं ! देखना यह है कि लोग, सेंट ज़ोसेफ संस्था द्वारा लूटे जाने का विरोध कर के शासन, प्रशासन और सरकारों को उनकी कुंभकरणी नींद से जगायेंगे ? या फिर ताली, थाली बजाकर गरबा करेंगे ? 

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