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वीर अब्दुल हमीद ने अकेले दम पर पाकिस्तानी सैनिकों को पीठ दिखाने पर मजबूर कर दिया था



- कृष्णा रूमी

पाकिस्तान के पास पैटन टैंक्स थे, जिनका भारत के पास कोई तोड़ नहीं था। भारत के पास शेरमन टैंक्स थे जो पैटन टैंक्स के आगे बेअसर थे और सिटींग डक्स थे। तो अब्दुल हमीद और उसकी खुद को मिलाके 4 ग्रेनेडियर्स की टीम को इन पाकिस्तानी टैंक्स को रोकने का जिम्मा सौंपा गया। 8 सितम्बर 1965 को पाकिस्तान के टैंक्स बेख़ौफ़ हिंदुस्तान में घुसने लग रहे थे, क्यूंकि इंटेलिजेंस यही थी की भारत के पास पाकिस्तानी टैंक्स का कोई इलाज नहीं है। लेकिन अब्दुल हमीद और उनकी ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट के पास जुगाड़ वाला इलाज था। 
उनके पास recoilless rifle यानी RCLR थी, और उस से वो टैंक्स को डिस्ट्रॉय कर सकते थे ! लेकिन इसके लिए बहादुरी की जरूरत थी क्यूंकि आप टैंक के सामने एक्सपोज्ड खड़े हो जबकि टैंक वाला सेफ्टी में है। मगर देश तो देश !  और अब्दुल हमीद जैसों के लिए जिंदगी की क्या ही कीमत है देश के आगे। 

8 सितम्बर को शाम को पाकिस्तान के पहले टैंक्स जब आये तो अब्दुल हमीद ने खुद ओपन गाडी से जाके RCLR से पहला टैंक डिस्ट्रॉय कर दिया। पीछे के दो टैंक वाले टैंक छोड़ के भाग गए ! पाकिस्तानियों ने एक्सपेक्ट ही नहीं किया था की भारत वाले ऐसा जवाब देंगे। 

पाकिस्तान ने अर्टिलरी अटैक के बाद दूसरा टैंक हमला किया और अब्दुल हमीद ने फिर आगे वाला टैंक डिस्ट्रॉय कर दिया। पीछे के टैंक वाले पाकिस्तानी फिर भाग गए ! दिन ख़त्म होने तक हमारी इंजीनियरिंग टीम पहुँच चुकी थी और उसने कई जगह पर माइंस बिछाने का काम कर लिया था ग्रेनेडियर्स ने जहां ट्रेंचेस खोद रखे थे वहाँ। 9 तारीख को सुबह 9 बजे जेट्स से पाकिस्तान ने बटालियन पर हमला किया। किस्मत से कोई नहीं मरा। फिर पाकिस्तान पूरा दिन हमला करता रहा और ग्रेनेडियर्स हमले को रोकते रहे। इसे रोकने में भारत ने पाकिस्तान के 13 undefeatable टैंक defeat कर दिए थे। जिनमे से दो 8 तारीख को और चार 9 तारीख को अकेले अब्दुल हमीद ने ख़त्म किये थे ! इन 13 के अलावा भी पाकिस्तानी कई टैंक्स खाली करके भाग गए थे हमला होने पर, जो भारत ने गिफ्ट के तौर पर रख लिए थे। 

10 तारीख को पाकिस्तान ने फिर टैंक्स से हमला किया और अब्दुल हमीद ने 2 और टैंक्स डिस्ट्रॉय कर दिए। लेकिन फिर पाकिस्तान ने हैवी आर्टिलरी के साथ बढ़ना शुरू कर दिया। 3 और टैंक्स आये हमला करने जिनमे से 1 को फिर अब्दुल हमीद ने डिस्ट्रॉय कर दिया। लेकिन इस समय अब्दुल हमीद की पोजीशन ऐसी बन गयी की वो अपनी ओपन जीप में एक टैंक के बिलकुल सामने आ गए थे। बिलकुल फिल्मी स्टाइल में मेक्सिकन standoff बन गया था, टैंक का मुंह अब्दुल हमीद की ओपन जीप की तरफ, और अब्दुल हमीद की गाडी और RCLR का मुंह पाकिस्तानी टैंक की तरफ। दोनों ने हमला किया और अब्दुल हमीद ने छाती पे वार झेल के ऐसी शहादत दी थी की फिर पाकिस्तानी आगे नहीं बढ़ पाए उस पोजीशन से। ये पाकिस्तान की इस युद्ध में सबसे बड़ी हार थी। 
अब अब्दुल हमीद ने कुल कितने टैंक उड़ाए थे इसपर कोई एकमतता नहीं है, कुछ लोग 6 बताते हैं, कुछ 7, कुछ 10, और कुछ 11, दरअसल ये सब इसलिए है क्यूंकि वहाँ उस समय कम ही लोग मौजूद थे तो जो बयानों के हिसाब से रिकॉर्ड किया वही जगह जगह मौजूद है। लेकिन अगर सभी versions की बताई बातों को जोड़ लें तो कुल 11 टैंक्स के उड़ाए जाने की टेस्टीमोनीज़ है। 

वैसे ये जितनी भी संख्या है वो सब बहुत ज्यादा है क्यूंकि इस तादाद में दुनिया के किसी इन्फेंट्री वाले ने कभी ना पहले टैंक उड़ाए थे ना बाद में उड़ा पाया था। इसलिए अब्दुल हमीद इतिहास में एक विरला ही अचीवमेंट लिए बैठे हैं। अब्दुल हमीद को भारत का सबसे बड़ा वीरता पुरूस्कार मिला, परम वीर चक्र, जो उनकी रेजिमेंट का भी पहला परम वीर चक्र था !

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